हरियाली तीज व्रत कथा: भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य प्रेम की अमर कहानी
नमस्कार दोस्तों! DRZCRAFT पर आपका स्वागत है। सावन का महीना आते ही प्रकृति चारों ओर हरियाली की चादर ओढ़ लेती है और इसी के साथ आता है खुशियों और उत्सवों का माहौल। इन्हीं उत्सवों में से एक प्रमुख त्यौहार है हरियाली तीज, जो हर सुहागन महिला और कुंवारी कन्या के लिए विशेष महत्व रखता है।
यह त्यौहार केवल हरे रंग के कपड़े पहनने, झूला झूलने या हाथों में मेहंदी रचाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और पुनर्मिलन की एक गहरी पौराणिक कथा जुड़ी है। आज हम उसी पवित्र teej vrat katha को विस्तार से जानेंगे।
हरियाली तीज का महत्व क्यों है खास?
हरियाली तीज का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पवित्र दिन भगवान शिव और माँ पार्वती के पुनर्मिलन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।
इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने की इच्छा से यह व्रत करती हैं। यह Teej Festival उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है, और महिलाएं इस दिन की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर देती हैं, जिसमें नए कपड़े खरीदना और हाथों में सुंदर मेहंदी की डिजाइन बनवाना शामिल है।
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हरियाली तीज व्रत की पौराणिक कथा (Hariyali Teej Vrat Katha)
शिव पुराण में वर्णित इस कथा का उल्लेख स्वयं भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए किया था। यह कथा महादेव के मुख से कही गई है, जो इस प्रकार है:
माता पार्वती का कठोर तप
भगवान शिव, माता पार्वती से कहते हैं, "हे पार्वती! आपने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर्वत पर घोर तपस्या की थी। आपने अन्न-जल त्यागकर सर्दी, गर्मी और बरसात जैसे सभी कष्टों को सहन किया। आपकी यह कठोर तपस्या देखकर आपके पिता पर्वतराज हिमालय अत्यंत दुखी थे।"
भगवान विष्णु का विवाह प्रस्ताव और नारद मुनि का आगमन
शिवजी आगे बताते हैं, "आपकी तपस्या के दौरान, एक दिन देवर्षि नारद भगवान विष्णु का संदेश लेकर आपके पिता के पास पहुँचे। उन्होंने पर्वतराज से कहा कि भगवान विष्णु आपकी पुत्री के तप से प्रसन्न हैं और उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुनकर आपके पिता पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने इस विवाह के लिए अपनी सहमति दे दी।"
जब यह शुभ समाचार नारद मुनि ने भगवान विष्णु को सुनाया और आपको भी इस बारे में पता चला, तो आप अत्यंत दुखी हो गईं। क्योंकि आपने तो मन, वचन और कर्म से मुझे अपना पति मान लिया था और मेरे लिए ही यह घोर तप कर रही थीं।
सहेली की सहायता और गुप्त तपस्या
अपनी व्यथा आपने अपनी एक प्रिय सखी को बताई। आपकी सखी ने आपकी मदद करने का निर्णय लिया और आपको एक ऐसे घने जंगल में ले गई, जहाँ आपके पिता आपको कभी नहीं ढूंढ सकते थे। उस निर्जन वन में आपने एक गुफा के अंदर रेत का शिवलिंग बनाया और पूरी श्रद्धा से मेरी आराधना में लीन हो गईं।
दूसरी ओर, आपके पिता पर्वतराज आपके न मिलने से बहुत चिंतित थे। उन्हें यह डर सता रहा था कि यदि भगवान विष्णु बारात लेकर आ गए और आप नहीं मिलीं, तो क्या होगा।
भगवान शिव का प्रकट होना और वरदान
भोलेनाथ कहते हैं, "हे पार्वती! आपकी कठोर तपस्या और अटूट श्रद्धा से मैं प्रसन्न हुआ और आपकी मनोकामना पूरी करने का निश्चय किया। इसी बीच आपके पिता आपको खोजते-खोजते उसी गुफा तक पहुँच गए। आपको वहाँ देखकर उनकी जान में जान आई।"
आपने अपने पिता को बताया कि आपने भगवान शिव को अपना पति चुन लिया है और उन्हीं के लिए यह तप किया है। आपने यह भी कहा कि यदि वे आपका विवाह शिवजी से करने के लिए तैयार हैं, तभी आप घर वापस चलेंगी। आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति को देखकर पर्वतराज मान गए और उन्होंने विधि-विधान से हमारा विवाह संपन्न करवाया।
भगवान शिव ने अंत में कहा, "हे पार्वती! जिस तरह आपने पूरी निष्ठा से यह कठिन व्रत किया, उससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। मैं यह वरदान देता हूँ कि जो भी स्त्री इस हरियाली तीज व्रत कथा को सुनेगी या इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करेगी, मैं उसे अखंड सौभाग्य और मनवांछित फल प्रदान करूँगा।"
जय भोलेनाथ! जय माता पार्वती!
हरतालिका तीज और हरियाली तीज में अंतर
कई लोग Haritalika Teej और Hariyali Teej को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। हालांकि दोनों ही व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं, लेकिन हरियाली तीज सावन में मनाई जाती है, जबकि हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। Hartalika Vrat Katha भी माता पार्वती के त्याग और तपस्या को दर्शाती है। दोनों ही अवसरों पर पूजा (hartalika pooja) और कथा का विशेष महत्व होता है। कई लोग तो आने वाले साल, यानी हरतालिका तीज 2025 की योजना भी अभी से बनाने लगते हैं।
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से किया गया कोई भी कार्य अवश्य सफल होता है। इस पवित्र अवसर पर सभी एक दूसरे को Teej Wishes और Hartalika Teej Wishes भेजकर अपनी शुभकामनाएं देते हैं।